तीसरी लहर में वैक्सीन लोगों की जान और माल दोनों बचाने में सफल साबित हो रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार दूसरी लहर के दौरान कम टीकाकरण के कारण बड़ी संख्या में संक्रमितों को जान से धान धोना पड़ा था। यही नहीं, अस्पताल में भर्ती होने की मजबूरी संक्रमितों के लिए बड़ी मुसीबत साबित हुई थी। लेकिन 72 फीसद से अधिक व्यस्क आबादी के टीकाकरण के कारण तीसरी लहर में बहुत कम संक्रमितों को अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ रही है, साथ ही उनकी मृत्युदर भी काफी कम है।
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने दूसरी और तीसरी लहर में संक्रमण के आंकड़े पेश करते हुए कहा कि एक अप्रैल को संक्रमितों की संख्या 72,330 से बढ़कर 30 अप्रैल को 3,46,452 तक पहुंच गई। उस दिन सक्रिय मरीजों की संख्या 31,70,228 थी। इसी के अनुरूप एक दिन में संक्रमण के कारण मरने वालों का साप्ताहिक औसत 319 से बढ़कर 30 अप्रैल को 3059 पहुंच गया।
इसकी तुलना तीसरी लहर से करें तो संक्रमितों की संख्या एक जनवरी को 22,775 से बढ़कर 20 जनवरी को 3,17,532 पहुंच गई। 20 जनवरी को देश में सक्रिय मरीजों की संख्या 19,24,051 थी। लेकिन इस दौरान प्रतिदिन मरने वालों का साप्ताहिक औसत दूसरी लहर की तुलना में काफी कम रहा।
एक जनवरी को औसतन 281 संक्रमितों की मौत हो रही थी, जबकि 20 जनवरी को 380 संक्रमितों की मौत हुई। मौतों में इस अंतर की मूल वजह टीकाकरण को बताते हुए राजेश भूषण ने कहा कि अप्रैल तक केवल दो फीसद व्यस्क आबादी को टीके का दोनों डोज दिया गया था, जबकि जनवरी में 72 फीसद आबादी को दोनों डोज दिया जा चुका है।
राजेश भूषण के अनुसार 15 से 18 साल के 52 फीसद किशोरों को टीके की एक डोज लग चुकी है। इसके साथ ही हेल्थ केयर वर्कर्स, फ्रंटलाइन वर्कर्स और गंभीर बीमारी से ग्रस्त 60 साल से अधिक उम्र के लोगों को सतर्कता डोज लगाने का काम तेजी हो रहा है। उन्होंने बचे हुए लोगों को जल्द से जल्द टीका लेने की अपील की।