पिछड़े वर्ग से आने वाले उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, पूर्व सीडीएस जनरल बिपिन रावत, उत्तर प्रदेश से संबंध रखने वाले दिवंगत साहित्यकार राधेश्याम खेमका को सरकार ने मरणोपरांत पद्म विभूषण से नवाजा है।
जबकि कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद, बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य जैसे राजनीतिक नेताओं के साथ साथ गूगल के सीइओ सुंदर पिचाई और माइक्रोसाफ्ट के सत्या नाडेला समेत कइयों को पद्म भूषण देने का फैसला हुआ है। कुल मिलाकर चार लोगों को पद्म विभूषण, 17 को पद्म भूषण और 107 लोगों को पद्मश्री पुरस्कार देने की घोषणा की गई है।
मंगलवार को पद्म पुरस्कारों की घोषणा हुई। राजनीति, कला, खेल, साहित्य व अन्य क्षेत्रों में उपलब्धि हासिल करने वालों को सम्मानित किया गया। जाहिर तौर पर कुछ नामों को वर्तमान राजनीति से जोड़कर देखा जा रहा है। कल्याण सिंह न सिर्फ भाजपा के बड़े नेता थे बल्कि वह पिछड़े समाज थे। उत्तर प्रदेश के चुनाव में फिलहाल हर दल की नजर पिछड़ों पर है। उनका हाल ही में निधन हुआ है।
जनरल रावत उत्तराखंड से आते थे और उनके निधन के तत्काल बाद ही वहां राजनीतिक दलों में सहानुभूति लूटने की होड़ मची थी। कुछ ही दिन पहले रावत के भाई भाजपा में शामिल हुए हैं। राधेश्याम खेमका की कर्मभूमि उप्र रही है और गीता प्रेस व कल्याण पत्रिका से जुड़े होने के कारण उनकी बड़ी प्रतिष्ठा रही है।
पद्म भूषण की श्रेणी में पहला नाम गुलाम नबी का है। कांग्रेस में यूं तो वह शीर्ष नेताओं में शामिल हैं लेकिन पिछले कुछ अरसे से केंद्रीय आलाकमान से उनके संबंध मधुर नहीं हैं। राज्यसभा से उनके रिटायरमेंट के वक्त खुद प्रधानमंत्री ने उन्हें बहुत भावभीनी बिदाई दी थी। वह खुद प्रधानमंत्री की कार्यप्रणाली के प्रशंसक रहे हैं। ध्यान रहे कि कुछ वर्ष पहले भाजपा सरकार ने ही पूर्व राष्ट्रपति और कांग्रेस के पूर्व नेता प्रणब मुखर्जी को भारत रत्न से सम्मानित किया था।
बुद्धदेव वाम विचारधारा से आते हैं लेकिन सरकार ने उनके योगदान को सराहा और पद्मभूषण से सम्मानित किया है। परोक्ष रूप से इसे बंगाल की राजनीति से जोड़ा जा सकता है क्योंकि नेताजी सुभाषचंद्र बोस को लेकर केंद्र सरकार ने कई बड़े फैसले लिए। बंगला के बड़े कलाकार विक्टर बनर्जी को भी पद्म भूषण दिया गया है। सत्या नाडेला और सुंदर पिचाई को सम्मानित करने का विशेष अर्थ है। उन्होंने भारतीयों के गौरव को उंचा किया है।